Artist- Omprakash Amritanshu
मेरे प्यारे देवेन्द्र खुशियों और मस्ती से भरा हो आपका हर पल और एक – एक दिन । साथ में शुभ – शुभ और मंगलमय हो आज 12 नवम्बर आपका जन्मदिन । देखा ! मैं नहीं भुला ना आज भी । भूल भी कैसे सकता हूं ? माफ़ करना । माना वर्षों बाद पत्र लिख रहा हूं । व्यस्तता इतनी है कि उलझ सा गया हूं । काम का प्रेशर इतना कि जैसे थ्रैशर हीं हो गया हूं ।
एक आज कुछ पल के लिए हीं सही , यादों के झरोखे से झांक रहा हूं । तेरे डिजिटल चेहरे पर जो मुस्कुराहटें बिखरी है , उसे भांप रहा हूं । साथ में अपने आप को भी आंक रहा हूं । एक बार फिर से दोनों की जोड़ी को काट – काट कर सादे कागज पर चिपका रहा हूं ।
हमारी यही कामना और शुभकामना है । क्योंकि दोस्त तु बचपन का आखिर में अपना है । खुशियों की पारिछाई साथ ना छोड़े । हौसले और विश्वास कभी ना मुंह मोडे । अपनी बचपन कि कहानी भी कुछ ऐसी हीं थी । हमारी खुशी तुम्हारी और तुम्हारी वाली हमारी । कैसे बताएं हम कितने बेचैन से हो जाते हैं , याद जब बचपन के दिन आते हैं । मस्तमौला बन घूमना । कभी इस गली से घुसना , तो उस गली से निकालना । हाथ में किताबें तो रहती , पर कभी – कभी खुलती । कभी ऎसे हीं हाथों की शोभा बढ़ाती । लोग समझते हम दिन – रात पढ़ते हीं रहते हैं । शरीफ और होनहार छात्रों में से एक हैं । हम और तुम देवेन्द्र ।
मुझे मालूम है बिता हुआ कल वापस नहीं आता । पर आने वाले कल को रंगीन बनाया जा सकता है । उसमें डूब कर मस्त हुआ जा सकता है । माना हम दूर – दूर हैं । पर दिल को और करीब लाने का प्रयास सफल हो सकता है । हम फिर से वैसी हीं मस्ती लूट सकते हैं ।
सोशल मीडिया पर तुम हर दिन दिख जाते हो । कुछ जानकारी – कुछ ज्ञान की बातें शेयर कर जाते हो । मैं चुपके से लाईक कर देता हूं देवेन्द्र । पर , तुम मुझे पहचान नहीं पाते । क्यूंकि प्रोफ़ाइल में हमारा फोटो नहीं है । और ना हीं हमने कभी अपना फोटो शेयर किया पब्लिक या दोस्तों को ।
तुम्हें खुश देख थोड़ा सा मैं भी उत्साहित हो जाता हूं । अपने निराश और हतास मन को बहला लेता हूं । तुम तो भोजपुरी के लिए भी चिंतनशील हो और हिंदी पत्रकारिता के लिए भी । तुम्हारे जीवन का दीपक सकारात्मकता की लौ से प्रज्वलित हो रहा है । होता रहे और होता ही रहेगा …. ।
तुम्हारा अपना लंगोटिया दोस्त …।
आपका प्यार हीं हमें लिखने के लिए उत्साहित करता है। कृपया नीचे अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें । धनयवाद।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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