Artist- Omprakash Amritanshu
अभिनेता विजय नैय्यर के भोजपुरी सिनेमा आ आरा के रंगमंच से रोचक नाता रहे। एक ओर नाटक के मंच रहे , दोसरा तरफ़ सिनेमा के कैमरा। दूनों तरफ वाह- वाह करत लोग। ताली से गड़गड़ात नागरी प्रचारिणी सभागार ।सिनेमा हॉल में आँख टिकवले लोग कबो-कबो भकुआ जात रहे। अभिनय के जानदार आ शानदार मिशाल रहलें। जैकी श्रॉफ, कुणाल, अरुणा ईरानी, निकी विश्वकर्मा के साथ में अभिनय कइलें।एकरा पहिले फ़ुटबॉल के खेलाड़ी नम्बर वन रहलें। फिर, औरकेष्ट्रा में रूची बढ़ल। गावे-बजावे लगलें। धीरे-धीरे अभिनय के ओर झुकाव भइल। अभिनय के A B C D पढ़ते-पढ़ते बन गइलें अभिनेता विजय नैय्यर। गुमान करे लागल आरा के माटी आपन लाल पर। मुस्कुरा के ईठलाये लागल आरा शहर के संकरी गली। बार-बार धन्य होखत रहे नागरी प्रचारिणी सभागार। अपना आप के भाग्यशाली माने लागल रंगमंच। नाटक के निर्देशक लोगन के लाइन लागत रहे। हर नया सिखे वाला कलाकार साथ में काम करे खातिर ललचत रहलें।
भोजपुर या भोजपुरी क्षेत्र के तहत विजय नैय्यर आपन परिचय के मोहताज कबहुँ ना रहलें। सन् 1949-50 में आरा शहर के एक संभ्रांत व्यवसायिक घराना में एगो बालक जन्म लिहलस। शहर के मंशापाण्डेय के गली में खुशी की लहर दौड़ पड़ल। प्यार-दुलार के नाम मिलल ‘किक्कु’।
किक्कु जब बड़हन होखत रहलें, तब आरा के परिवेश ओह समय फुटबॉल मय रहे। दादा साहेब फाल्के का संघर्ष घुन और भारतीय सिनेमा की दुनिया
शहर के नामचीन “हिरोज” ग्रुप बगल के मोहल्ला से हीं ताल्लुक रखत रहे। स्वभाव में मिलनसारियत रहे।ओह समय के नामचीन खिलाड़ी छोट-छोट पास देके दउड़ावत रहे लोग। ओह गेंदा के पीछे भागत-भागत किक्कु एगो फुटबॉल खिलाड़ी के रुप में स्थापित हो गईलें।
जब किक्कु सेयान होखत रहन त घर के लोग एगो नया नाम दिहलस ‘विजय’। 1966-67 में मैट्रिक कइलन।फिर, आरा हर प्रसाद दास जैन कौलेज आरा में कॉमर्स के छात्र हो गइलें।छ: फुट दू इंच के लम्बाई। गोर वर्ण, तीखा नयन नक्श खातिर विजय कॉलेज में हमेशा आकर्षण का केंद्र बनल रहत रहलें।
धीरे धीरे समाज में arkestra प्रचलन बढ़त रहे। विजय के झुकाव arkestra के ओर होखे लागल। कबहुँ टेबल , त कबो चौकी पर ही ठेका बजावे लागत रहन। मित्र मंडली में गीतन के रियाज शुरू कर देत रहन।
फिर, धीरे-धीरे नरम गुलाबी अँगुरी थ्री पीस कौंगो के छुए लागल। रियाज़ में मगन होखे लागल। अब का रहे मंशापाण्डेय के गली में संगीत गूँजे लागल। रोज साँझ गुलज़ार होखे लागल।अब जुबली arkestra दरशक लोगन पर राज करे लागल।अापन सऊँसे कलाकारन के साथे मंच पर पर कहर बरपावे लागल।अब ई शहर में धूम मचावे लागल। प्रदेश से बाहर भी अापन धाक जमा के रखलस।
अब एगो खेलाड़ी आ मशहूर कौंगो वादक विजय नैय्यर के रोचक किस्सा शुरू हो रहल बा..
तनी धेयान दिहीं सभे। अब इनकर पादार्पण आरा रंगमंच के ओर होखत बा। ‘भूमिका’ आरा के बैनर तले निर्देशक जितेन्द्र सुमन के साथ में। नाटक “सबरंग मोहभंग” में नायक के भूमिका में। आरा के दरशक लोगन से रूबरू भइलें।आ पूरे सौ में से सौ नम्बर हासिल कइलें।
अब विजय नैय्यर आरा रंगमंच के प्रतिष्ठित कलाकार बन चुकल रहन। जितेन्द्र सुमन, सलील सुधाकर, बच्चन जी, मनोजनाथ, बिन्देश्वरी जी के सहयोग मिलल। मदन भैया, राहुल विश्वकर्मा, छंदासेन भाभी से प्यार आ दुलार।जौली, श्रीधर, अजयश्री, अनिल प्रतिक्षा, अनिल शीतल, सरफराज भैया के साथ भी मिलल। प्रो० राणा जी, प्रो० श्याम मोहन अस्थाना जी से नाटक के गुर । साथ में अनिल सिन्हा, हर्ष जैन ,रामकुमार भईया जईसन महारथियन से ताल मिलल। नाटकन के झड़ी लागे लागल।
नाटक ‘दिल्ली ऊंचा सुनती है’, ‘आला अफसर’, ‘अमली’ से अभिनय कला स्थापित भइल। ‘बेबी’ , ‘रावण लीला’ , ‘कर्फ्यू ‘ जइसन नाटकन से प्रगति के पथ मिलल। आज भी दरशक लोगन के अक्षरशः ईयाद बा।
मुद्राराक्षस लिखित नाटक “प्रोमोशन” त प्रदेश से बाहर भी अापन कामयाबी का झंडा गाड़ दिहलस। ईहाँ तक कि इलाहाबाद में होखे वाला प्रयाग नाट्यकुम्भ में विशिष्ट नाटक से नवाजल गईल।अब विजय नैय्यर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में लोग जाने लागल।
ऐने श्रीलक्ष्मण शाहबादी के नाम भोजपुरी फिल्म में स्थापित हो चुकल रहे। ऊ अापन गीत-संगीत आ लेखन से लोहा मनवा चुकल रहन। उनका सानिध्य मिलल विजय नैय्यर के। अब का रहे । रंगमंच के मार्फ़त सिनेमा में अभिनय करे के मौका भी मिल गइल।
‘गंगा किनारे मोरा गांव’ से सिनेमा के दुनिया में अभिनय समहुत भइल। फिर, ‘दुल्हा गंगा पार के’ , ‘पिया रखिहs लाज सेनुरवा के लाज’ , आ ‘पिरितिया के खेल’ में अभिनय से ख़ूब खेलेके मिलल।
तेकरा बाद ‘भाग्य के लेखा’ , ‘गंगा के गांव में’ , ‘हमार दुल्हा’ दरशक के दिल में उतरल। फिर हर्ष जैन के फिल्म ‘माई तोहरे खातिर’ खूब धूम मचवलस। ‘दे द पिरितिया उधार’ आ ‘देस में लौटल परदेसी’ देख के सभे जुड़ाईल। ‘अंखियां लड़िए गsइल’ आ ‘हम हईं खलनायक’ से सभे परिचित भइल। ‘ये कैसी गुरु दक्षिणा आ कलुआ भsइल सेयान’ के पोस्टर कई-कई महीना तक शहर में टंगाईल लउकल।
फिल्म ” पिरितिया के खेल” में विजय नैय्यर के द्वारा निभावल ‘मड़ई दुबे’ के किरदार तो अमर बा। मड़ई दुबे एंव सुगमोना डोमिन की सच्ची प्रेम कहानी रहे। जवना के फिल्मी परदा पर पहिला बेर उकेरल गइल रहे। लगभग एक दर्जन भोजपुरी फिल्म में अभिनय कइलें।
एकरा अलावे कई गो लघु फिल्म में भी अपना जौहर देखवलें। इनकर जुड़ाव टी.वी धारावाहिक से भी रहे।
UNICEF खातिर भी काम कइलें। अशोक राय के निर्देशन में “कभी देर नहीं ” टेलीफिल्म के निर्माण भइल। सरकार से बहुते सराहना मिलल। एह फिल्म में साथी कलाकार श्रीमती छंदा सेंन , सत्यकाम आनंद आ विष्णु शंकर बेलु रहलें। साथ में ओमप्रकाश कश्यप आ अनुप सोनु के भी मौका मिलल रहे।
दूरदर्शन भी अछूता ना रहल। कबो इनकर अभिनीत “देहाती दुनिया” आ “ससुर-दामाद” में अभिनय देखीं। इनकर ओजस्वी अभिनय आजतक मानस पटल पर तरोताजा बा।
कई गो फिल्म में पटकथा आ गीत भी खुद हीं लिखलें। कारण कि अभिनय के साथे-साथे पढ़े-लिखे के भी शौक़ीन रहन विजय नैय्यर।
होमसिकनेस के चलते कबहीं आरा छोड़ के मुम्बई ना गइलें। अापन जीवन के अंतिम समय में छोटी बेटी के घरे कानपुर रहे लगलें। बुढ़ापा के रोग से लड़त कानपुर में हीं रहलें। ७० बरिस के उमिर पार करके अंतिम सांस लिहलें। आरा के एगो चिराग १ मई २०१८ के बुझ गइल। आरा के रंगमंच पे सन्नाटा पसरल बा। भोजपुरिया आ भोजपुरी अभिनेता लोगन के दिल बईठल बा।
लेकिन एगो बात जरूर बा। विजय आरा के सचमुच नायक रहन। जब तकले रहलें हर क्षेत्र में हिरो बन के रहलें। निश्चित रूप से आवे वाली पिढ़ी इनकरा ऊपर नाज करी। आरा के इतिहास में ढूँढी।
चन्द्रभूषण पाण्डेय के सहयोग से
ओमप्रकाश अमृतांश
भोजपुरी फिल्म निदेशक हर्ष जैन
– विजय नैय्यर के निधन से भोजपुरी फिल्म संसार सहित अभिनय कला के भारी क्षति भइल बा। कलाकार के साथ- साथ हँसमुख इंसान भी रहलें। आरा रंगमंच के नायक भी रहलें आ सुत्रधार भी ..
हर्ष जैन को जन्मदिन की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ..
हम cartoondhun व्यंग्य चित्रों की आँगन में आपका स्वागत करते हैं..
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