Artist - Omprakash Amritanshu
‘तुम यहां बालकनी में होम क्वारंटाइन का मज़ा ले रहे हो ! वो भी अकेले – अकेले ! एक मैं हूँ जो तुम्हें ढूँढने के लिए हर कमरे में स्क्रीनिंग करवा रही हूं। पहले ड्राइंग रूम में ढूंढा, लेकिन टेस्ट में आप नेगेटिव निकले। डायनिंग रूम में भी रिज़ल्ट नेगेटिव ही था । फिर, बेडरूम और किचन तक की स्क्रीनिंग करवाई। तब जाकर आप इस बालकनी में पॉजिटिव निकले । घर में इतना काम पड़ा है । यहां बालकनी में होम क्वारंटाइन का मज़ा लिया जा रहा है । शुद्ध हवा से अपनी इम्यूनिटी बढ़ाई जा रही है ।’ रानी ने लोढ़ा को आवाज़ लगाते हुए आई थी । लोढ़ा को बालकनी में देख फूट पड़ी थी जैसे ज्वालामुखी । सहमा हुआ लोढ़ा का कान खुले तो थे , परन्तु शायद काम नहीं कर रहे थे । होम क्वारंटाइन वाली बात रानी के लिए नया अस्त्र था ।
यहाँ बालकनी में क्या रखा है ? ज़रा मैं भी तो जानू । क्यों बालकनी में होम क्वारंटाइन का मजा ले रहे हो । कि इसी बहाने हमें धोखा दे रहे हो । लोढ़ा कुछ जवाब देता , उसके पहले आश्चर्य चकित भाव में फिर से आई रानी । बोलने का सिलसिला जारी रखते हुए -‘कहीं तुम फिर से …। आस-पड़ोस वाली सुंदरियों से संक्रमित तो नहीं हो गये ? परन्तु , तुम तो इन सौन्दर्य युक्त वायरसों से मुक्त ही नहीं हो पा रहे हों । यदि , वे सब ब्यूटी क्वीन है तो मैं भी किसी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन से कम नही । सच – सच बताओ । इस बालकनी में होम क्वारंटाइन होने की सच्चाई से अवगत कराओ ।
इससे पहले कि लोढ़ा कुछ बोलता । फिर से डटी रहीं रानी । ‘ ऐसी बात तो नही ? इम्यूनिटी के बहाने से लड़कियों की कम्यूनिटी पर डोर तो नही फेंक रहे हो ? कहीं तुम अपने दिल का ट्रांसमिशन तो नही बढ़ाओगे हो ना ? याद रखना कि यदि मेरा शक अगर सही निकला तो … । तो इसी बालकनी में लॉकडाउन कर दूँगी । जीवन भर बालकनी में होम क्वारंटाइन का मजा दिला दूँगी ।
‘बहुत हुई होम क्वारंटाइन की बातें ।अब चलो बालकनी से । करते हैं काम की बातें ।’ जैसे अचानक रानी आसमान से धरती पर गिरी । पेप्सी कोला जैसी ठंढ़ी होकर बोली रानी – ‘ बर्तनों को मैंने सेनेटाईज कर दिया है । कपड़ों के ढेर का सेनेटाईजेशन अभी बाकी है। जल्द ही आटा गूँथने से लेकर सब्जी काटने तक के कई प्रकरण भी सामने आने वाले है। इससे पहले कि सारे काम एक साथ पेंडिंग होकर किसी महामारी का रूप ले ले । एहतियात बरतते हुए अपनी इच्छाओं को मास्क से ढक कर यह बालकनी छोड़ो । होम क्वारंटाइन के बहाने सारे काम निबटाना शुरू कर दो।’
लोढ़ा आश्चर्य चकित था । सोच रहा था आज घर के सारे काम मुझसे ही करवाएगी क्या ? सोचा था आज छुट्टी है । होम क्वारंटाइन का मजा लूँगा । लेकिन यहाँ तो सजा की तैयारी पहले से निश्चित है ।
कंधे पर हाथ रखते हुए फिर बोलने को तैयार हुई रानी । लोढ़ा सहमा । रानी बोली – ‘सफ़ाई की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है । धूल कणों की बात करें तो सिर्फ ड्राइंग रूम ही ग्रीन ज़ोन में है । बाकी बेडरूम ऑरेंज जोन तो डाइनिंग रूम रेड जोन में बने हुए है। बाथरूम तो गंदगी का हॉटस्पॉट बन चुका है। इसकी दीवार की दरार से कॉकरोच निकल रहे हैं । उसे मैंने पूरी तरह से सील कर दिया है। दवाई तो डाली किन्तु कॉकरोचों की मृत्यु दर बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही है। आपको ही कुछ करना पड़ेगा।’ चेहरे से निश्चिंत हुई रानी ।
‘यदि मेरी बातें कुछ असर कर रही हो तो जल्दी से काम शुरू करो । वरना गुस्से में रूठकर यदि मैं सेल्फ isolation में चली गई तो तुम्हारे मनाने का कोई भी वैक्सीन काम नहीं करेगा।’ इस बार रानी की हथेली लोढ़ा के धड़कते दिल पर था । लोढ़ा पूरी तरह से पस्त था ।
“इसीलिए , तो मैं तुम्हारी डांट चुपचाप सुन रहा हूं प्रिये ! मै जानता हूं कि यह तुम्हारे गुस्से का इनक्यूबेशन पीरियड है । हमें लगता है अभी तुम्हारी सारी इन्द्रिय सीरियस है ।” कहते हुए लोढ़ा बेचारा घर के काम निबटाने चला गया । करता भी क्या होम से मौन क्वारंटाइन होकर बालकनी से सरकता गया ।
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पत्रकार और रंगकर्मी रविन्द्र भारती
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बहुत सुंदर
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