Artist- Omprakash Amritanshu
शरीर बल और शस्त्रबल के रहते हुए हमारे पास मनोबल नहीं है, तो कुछ भी नहीं है। शरीर बल और शस्त्रबल को धराशायी कर सकता है, तो वह है मनोबल। मनोबल निर्बल व्यक्ति को विजयी बना सकता है। बड़े से बड़े संकट को छोटा बना सकता है। पर , अगर आपके पास यह शस्त्र नहीं है , तो आप सधारण सा दिखने वाला संकट से भी परास्त हो सकते हैं । देखो! हंस-हंसके पढ़ रही है..
विजय की कामना हर व्यक्ति का स्वभाव है। हर मनुष्य मंज़िल पाने को ललायित रहता है। क्योंकि जीवन है तो चाहत भी । चाहत है तो संघर्ष करना पड़ेगा । लक्ष्य को मुट्ठी में भरना चाहते हैं, चाहिए भी ऐसा हीं। लेकिन, लक्ष्य किसी और बल से प्राप्त नहीं होता। आंतरिक मस्तिष्क में पैदा हुआ मन निर्बल है तो आप विचार रास्ते में परास्त हो सकते हैं। वहीं, अगर मन मज़बूत है, तो जीवन में हार नहीं सकते। सफल-असफल होना मनुष्य की आंतरिक मानसिक शक्ति को दर्शाता है।
मनोबल बाज़ार में बिकने वाला चीज़ नहीं, जिसे ख़रीदा जा सके। ना हीं कसरत करने से प्राप्त होता है। एक अदृश्य शक्ति है, जो आपके-हमारे मनःसिथति के अनुसार पैदा होती है। सधारण सा दिखने वाला व्यक्ति ठान ले, तो वह असधारण हो जाता है। दुबले-पतले एक धोती में लिपटे रहने वाले महात्मा गाँधी साक्ष्य हैं। ना उनके पास शरीर बल था और ना हीं शस्त्रबल। फिर, भी अंग्रेज़ों को उनके आगे नतमस्तक होना पड़ा। दुर्बल मनोबल के आगे हज़ार परिस्थितियाँ हावी हो जाती है। दृढ़ मनोबल सभी परिस्थितियों को परास्त कर देता है। विज्ञान भी मानता है। यदि , मनोबल गिरता है, तो दूसरा रास्ता पकड़ लेता है। जिसका, परिणाम पतन होता है।
आसमान को मुट्ठी में भरा जा सकता है। किसी भी बल को धराशायी करने में महान है मनोबल । जिसका मनोबल दृढ़ होता है, वह लाखों-करोड़ों लोगों का आदर्श हो जाता है।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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