अभी-अभी गुलाबी लड़कियाँ की दुनिया से गुजरा हूँ। उनके पीड़ाओं के गुलाबी खुरदरी जमीन पर उतरा हूँ। ब्लीचिंग, फ़ेश...
सच नही वो जिसे सुना जाए / सच नही वो जिसे लिखा जाए ग़ज़ल का एक अनुठा संग्रह है ‘चलो ! अब आदमी बना जाए’ । कैनवाश...
का हो आजकल कार्टून – वार्टून बनाना छोड़ किताब – सिताब पढ़ रहे हो का ! माया मेरे नज़दीक आते हुए व्य...
युद्धरत हूँ मैं : एक प्राणवान अनुभूतिक कृति है, जिसका कैनवस बहुत बड़ा है। कवि ने जो कुछ देखा-सुना, भोगा उसे अप...
अभी-अभी गुलाबी लड़कियाँ की दुनिया से गुजरा हूँ। उनके पीड़ाओं के गुलाबी खुरदरी जमीन पर उतरा हूँ। ब्लीचिंग, फ़ेशियल, मसाज, वैक्सिंग, थ्रेडिंग के नुस्खे अजमा रही है। बदल रही है फैशनिस्टा कि दुन... Read more
सच नही वो जिसे सुना जाए / सच नही वो जिसे लिखा जाए ग़ज़ल का एक अनुठा संग्रह है ‘चलो ! अब आदमी बना जाए’ । कैनवाश है रचनाकार सतीश कुमार श्रीवास्तव ‘नैतिक’ के अनुभवों का । चलो देखते हैं , जिसम... Read more
का हो आजकल कार्टून – वार्टून बनाना छोड़ किताब – सिताब पढ़ रहे हो का ! माया मेरे नज़दीक आते हुए व्यंग्य मुस्कान भरते हुए पूछा । मैंने उसकी बातों को कानों से वापस भेजते हुए पढ़ता र... Read more
युद्धरत हूँ मैं : एक प्राणवान अनुभूतिक कृति है, जिसका कैनवस बहुत बड़ा है। कवि ने जो कुछ देखा-सुना, भोगा उसे अपनी कविताओं में उतारा है। हिमकर श्याम के काव्य -संकलन ‘युद्धरत हूँ मैं... Read more
संगीतकार मधुकर आनंद सिंगर बन मचा रहे हैं धमाल
ठहाका ! मारते लोग रविन्द्र भारती की दाढ़ी पर
अभिनेता सत्यकाम आनंद का caricature बना
आरा का लाल विष्णु शंकर का कमाल देखो
राजेश भोजपुरिया को मातृभाषा और संस्कृति से जमीनी जुड़ाव
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