Artist- Omprakash Amritanshu
देश की एक मात्र ख़ुफ़िया एजेंसी। इसकी स्थापना १९४१ में हुई थी। देश में घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए ये बीज बोई गई थी। कहने को देश हित में करते हैं काम ।बड़े-बड़े सुरमा काँपने लगते हैं सुनकर नाम ।पर ये क्या नाम बड़े दर्शन छोटे ? ये तो निकले खोटे सिक्के । हा…हा…हा…। अपराधी को पकड़ने वाली दस्ता खुद अपराध के घेरे में । आज देश खड़ा है कठघरे में ।सरकार भी कुछ बोलना नही चाहती । अपनी ऊपर छिटें फेंकवाना नही चाहती । सुना है सीबीआई ने अपने हीं दफ़्तर पर छापा मारा है । अपने आप को खुब सराहा है । कि हमने रिश्वत खोर पकड़ लिया है । उसे ज़ंजीरों में जकड़ लिया है । अब क्या ? सरक चला है तुम्हारे सिर का ताज । ना मानो तो पूछ लो गाँव-गाँव में जाकर आज ।
ये जो कलंक लगी है काली तेरी माथे पर, सरकार को जवाब देनी पड़ रही है भारी । तुम तो एैसे नही थे । तुम तो भोले-भाले तोते थे । सेवा के नाम पर मेवा कितना खाया जरा सबको बताओ । जोर-जोर से सभी को सुनाओ । तुम्हारी लालची लार की गहराई बहुत अधिक है भाई । देश के लिए गहरी खाई है भाई । आज घायल हो चुका है विश्वाश । हजारों भावनाओं की आश । न्याय की उगंली पकड़ अन्याय की ओर चल पड़े । शर्म से हमारे भी है सिर झुके पड़े ।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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