Artist - Omprakash Amritanshu
इंसान हुआ हैवान इंसानियत शर्मसार है, असहाय हुआ सीते का दामन दाग़दार है।
हद हो गई बेख़ौफ़ हुआ डर चौखट के बाहर हीं अस्मत लूट गई, फूट पड़े आँसूओ के धार खिलखिलाहट भरी ज़िंदगी बुत बन गई सुबक-सुबक कर जीने का मिला उपहार है, असहाय हुआ सीते का दामन दाग़दार है।
आजाद भारत के चंगुल में गरीब आ गरीबी
लहूलुहान हुई आत्मा खून में सराबोर लाल हुई, अधनंगी पड़ी सड़कों पर प्राकृति की चित्कार हुई, हवसी भेंड़ियो का ये कैसा खिलवाड़ है? असहाय हुआ सीते का दामन दाग़दार है।
कराह रहा अन्तर मन का हर एक सिरा घिनौने क्रीड़ा का असहनिय हुई पीड़ा, लाखों गुना इनसे तो अच्छे हैं नालियों के खदकता हुआ कीड़ा , ऊठे हुए फ़न को अब कुचलने की दरकार है, असहाय हुआ सीते का दामन दाग़दार है।
गूँज रहा हर कोने में भारत माता की जय-जयकार, नहीं सुन रहा कोई पुकार हो रही है बेटियों की इज़्ज़त तार-तार, राम के देश में हीं ये कैसी शक्ति लाचार है, असहाय हुआ सीते का दामन दाग़दार है।
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ओमप्रकाश अमृतांशु
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