Artist - Omprakash Amritanshu
भूखल पेट में मिठाई जइसन बात से टपकत बा लार । बताईं अब का करीं हम , हे सरकार! अँजुरी त भर गइल , सऊँसे रस टपक गइल । पेट के भूख ना गइल । दु:ख बढ़िआइल जात बा । मुँहवा पे फेफड़ी परल जात बा । आज लवट आइल बाड़न लाखों मजदूर इंसान । आपन प्रदेश में मिली इनकर मान ? खून – पसिना एक कइलन । साधन ना मिलल त पैदले घरे अइलन । भरल रहे अँखिया में लोर , राऊर बात सुनके मन भइल विभोर । – “सभेके रोजगार अब एहिजे मिली । केहु भुख से ना मरी ।” एह में केतना सच्चाई बा ? लागत बा कि चुनाव के जोरदार तइयारी बा । अबले कवनो सुध ना लिहनी , हमनी के दरदे हाल में छोड़लीं । अचानक का हो गइल ? कइसे पत्थर दिल पसिज गइल ? रऊरो मालूम बा कि भूखल पेट रोटी से भरेला । हवा – हवाई बात त छू मंतर हो जाला ।
मिठाई जइसन बात चुनाव के समय नीक लागेला । फिर , कुरसी मिलल ओकरा बाद के केकरा के पूछेला । ऊहे बतिया बाद में नेताजी लोगन के तीत लागेला । जब मांगऽ अधिकार त भीख लागेला । रोटी – रोजगार के जुगाड़ अब का होई ? बताईं हम गरीब मजदूर खुसहाल कब होई । अबले ना सोचलीं । ना नजर उठाके हमनी के ओर एक बेर देखलीं । अब सपना देखावत बानी । झूठे नु आपन बात के जाल में फँसावत बानी । अब त होखे वाला चुनाव बा । बाकिर, हमनी के जीवन में ना कवनो बहाव बा । कट रहल बा एक – एक दिन जोड़ के, खुद मजा लुटीं वोट जोड़ – बटोर के । बदहाल जीवन , बदरंग बा बिहार । बेरोजगारी बाटे सिर पर सवार । राऊर मिठाई जइसन बात से केकरो पेट ना भरी । जेकरा आग लागी पेट में ऊ मजबूरन फिर से डेग भरी ।
हे ! सरकार अब रोटी – भात के करीं इंतजाम । बदनामी के करीं काम तमाम । हज़म नइखे होखत मिठाई वाली बात । एतना दिन से धइले रहीं कवन खाट । लगभग बीस साल राज मिलल , गरीब के जीवन में सुख ना खिलल । लालसा रह गइल बिहार में रहेके । एह माटी में करम करेके । बिहार के माटी लचार भइल , तबे नु हमनी के ई हाल भइल । लॉकडाउन में बेहाल भइलीं , हजार किलोमीटर पैदल चल के अइलीं । हमहूँ चाहत रहलीं एहीजे रोजगार करीं , खुबसूरत जीवन के अब ना बेकार करीं । बाकिर , रऊआ कइलीं ना कवनो उपाय , गरीब मजदूर भइलें असहाय । दुनिया में फजीहत भइल , त जागल बा लोकप्रेम । करे लगलीं वादा कि रोजगार अब हम देम ।
लॉकडाउन के संकट काल में रोजगार के बात नया आक्सीजन भरता । हालात के मारल गरीब लोगन से गलचउर करत बा । लोग कुछुओ कहे ‘सुने में त मिठाई जइसन लागत बा । हें .. हें .. हें.. हें .. हें….।’
राउर प्यार हमके लिखे खातिर उत्साहित करेला । कृपया करके आपन प्रतिक्रिया जरूर दिहीं ।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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