Artist- Omprakash Amritanshu
कई खूबसूरत और हसीन लम्हें हमारी प्रतीक्षा में आँखे बिछाये बैठी है। परंतु, हमें आभास भी नही। बेहतरीन मौके घूंघट में हमारे सामने है। उम्मीदों की कई उड़ाने हमारे इंतजार में खड़ी है। कई सुखमय समय हमसे गले मिलने के लिए आतुर है। जबकि हम दुःखों की काली छाया से चिपके हुए हैं। हसीन लम्हें हमसे लिपटना चाहती है। हम हैं कि उदासी को छोड़ना नही चाहते। खूबसूरत सा समयचक्र हमारे साथ बंधना चाहता है। मुसीबतें बाप-बाप चिल्ला रही है, अब हमें छोड़ दो। परन्तु, हम सुनना नही चाहते। नही सुनने की नाटक कर रहे होते है। जबकि जुनून हमारे अंदर समाहित होना चाहता है। हमारे रगों में दौड़ने के लिए व्याकुल है। और हम बेध्यानी में जीवन जिये जा रहे हैं।
एक ओर दुनिया हमारी ओर मुहँ किए खड़ी है। इसके विपरीत में हम कहीं और हीं अंधेरे में देख रहे हैं। अपने अंदर से उदासी का पर्दा हटाओ। जुनूनी समुन्द्र में डुबकी लगाओ। सबसे पहले अपने आत्मविश्वास को मजबूत दोस्त बनाओ। दुनिया हमारे स्वागत में मुस्कुराती हुई खड़ी है।
जिस दिन हमारे दिल मे चाहत पनपेगी हम संघर्ष शील हो जाएंगे। हर बाधाओं को पार करते जाएंगे। मुश्किलों की पहाड़ें भी छोटी लगने लगाने लगेगी। नामुमकिन को भी मुमकिन करना हमारा लक्ष्य होगा। हम अपने मंजिल की ओर अग्रसर होते जाएगें। हमारा लक्ष्य हमें सबसे खूबसूरत लगने लगेगा। हम उत्साह से भरे होगें। हम अधिक ऊर्जावान होगें। आत्मविश्वास जैसे लोहे का बना होगा।
हसीन लम्हों की बाहों में झूलना किसे पसंद नही ? पर, ये सबके बाहों में नही आती। जिसके रगों में जुनून दौड़ रहा हो उसे पाने की। इसके अलावा जो सिर्फ उसी के बारे में सोंचता हो। ये उसी के आँखों में बसती है। हाथ पर हाथ रखकर बातें करना इसे पसंद नही। आपके अंदर हासिल करने की चाहत का बीज अंकुरते हुए देखना चाहती है। आपके मानसिक ढांचे की गहराई मापना चाहती है। आत्मविश्वास के पर्दे पर अपना फोटो देखना चाहती है। यानी हमारे प्रयासों की लकीरों से रु-ब-रु होना चाहती है।
कितने सुखमय सपने हमारी प्रतिक्षा कर रहे हैं। हम दुःखद झरोखों पर टकटकी लगाए बैठे है। नकारात्मक चादर ओढ़ अपने किस्मत को कोस रहे है। कभी आसमान की तरफ नही देखा, क्योंकि उसके लिेए सिर को उठना पड़ता है। छूने के लिए उस ऊंचाई पर जाना पड़ता है।
सच तो ये है कि कर्म के अनुसार हीं फल मिलता है। सकारात्मक सोंच हमारी किस्मत को हसीन बना देता है। नकारात्मक सोंच के साये में पलने से क्या फायदा ? एक सुंदर प्रेमिका हमारी प्रतीक्षा में है। और हम मुँह लटकाए इधर-ऊधर घूम रहें हैं।
समस्या है कि हम मरने से पहले भूत बन जाने के डर से कांप जाते है। यही डर हमे अपने जाल में उलझा कर रखता है। और कई हसीन लम्हें हमारी प्रतीक्षा में रह जाती है। और आख़िर में हमारे प्रगति पथ के रास्ते वीरान हो जाते हैं। हमारे मेहनत के बीज पुष्ट नही होते। दुनिया हमें पहचानने से वंचित रह जाती है, और हम उस हसीन की ऊँगली पकड़ने से। परिणाम स्वरूप हम स्मृध नही हो पाते। करूँ या नही करूँ में जीवन गुजार देते हैं।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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yah bhi ek zindagi ka pehlu hai opji khub like ho…
धन्यवाद भाई
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