Artist- Omprakash Amritanshu
‘अंदर हीं अंदर फूल रहा है दम , हुए नकचढ़ी की नाक के शिकार हम’ । गाल पर हाथ रख अपनी बेबसी की राग अलाप रही थी पुनिया । ‘अरे यार ! मम्मी क्या बताऊं ? हर बात पर अकड़ जाती है । तड़क जाती है । भड़क जाती है । जरा सा कुछ कह दे तो फफक पड़ती है । सुबक – सुबक कर रो पड़ती है । दोनों आँखों से गंगा – यमुना की धारा निकल पड़ती है । कोई कुछ कहे तो बिदक पड़ती है । बिफर पड़ती है पल में , जब खलल पड़ती है उसके बक – बक में ।
डर के दलदल में सब धँसे हुए हैं । क्योंकि हम सब बेरोजगारी के डर से सहमे हुए हैं । वैसे बज रहे हैं , जैसे बजा रही है । दूसरा कि चल रहे हैं उस रास्ते पर , जिस डगर चला रही है । लड़ रहे हैं आपस में , जिस तरह लड़ा रही है ।
अभी – अभी ऑफिस से आई थी पुनिया । हाथ – मुँह धोकर सोफे पर बैठी । माँ ने पानी की ग्लास थमाते हुए पूछा था – कैसा रहा आज का दिन । सब ठीक – ठाक ? वैसे आज गर्मी भी बहुत है न !
पुनिया गाल पर हाथ रख कुछ सोंच रही थी । फिर , अचानक नॉन स्टॉप बोलने लगी थी ।
वैसे आम भाषा में नकचढ़ी को नकचिढ़ी भी बोला जाता है । पुनिया की छोटी सी आॅफिस की नकचिढ़ी टिम लीडर मैडम । उसे सारे स्टाफ़ इसी नाम से पुकारते थे । आॅफिस छोटी सी थी , जिसमें दस – पन्द्रह कमर्चारी बैठते थे । हेड आॅफिस कहीं दूर था । यानी यहाँ की मालकिन वही थी …
यहाँ बीच में हतक्षेप करने के लिए खेद व्यक्त कर रहा हूँ । इनके किस्मों की जिक्र कर रहा हूँ । अमूमन नकचढ़े लोगों की दो किस्में होती है । दोनों हीं खून चूसने वाली । एक जिसे देखकर हीं श्रेष्ठता का बोध हो जाता है । परंतु , व्यवहारिक मामलों में वह अबोध हीं रह जाते हैं । ऐसे लोग अभिमान के अश्व पर सवार होते हैं । दूसरों को अपमानित बार – बार करते हैं । अपनी नाक की चटकनी चढ़ाकर , दूसरों की बोलती बंद कर देते हैं डराकर ।
दूसरी किस्म के बारे में बताता हूँ । इनकी व्यक्तित्व को भी उजागर करता हूँ । ‘अधजल गगरी छलकत जाय’ यही इनकी है सही हालात । अपने कार्यक्षेत्र में अधूरे तो होते हीं हैं । दूसरे क्षेत्र का ज्ञान भी थोड़ी बहुत चोरी कर लेते है । फिर उस कार्यक्षेत्र के लोगों को चोरी किया हुआ ज्ञान बाँट कर इतराते फिरते हैं । नाक सिकुड़ लज्जित करने की बिगुल जोरों से फूंकते हैं । इनका बर्ताव होता है अजीबो – गरीब । जैसे कभी चलते – चलते लीक हो जाती है पेन की नीब ।
माँ ने समझाया – जाने दो । ये ऑफिस की बात है । वहीं पर छोड़कर आया करो । इसे दिल – दिमाग में मत पालो । पानी – वानी पियो और भूल जाओ ।
सामने रखा पानी का ग्लास एक सांस में गटक गई । गहरी साँस भरते हुए फिर से शुरू हुई पुनिया । -‘नकचिढ़ी बिना बात किसी को भी अपना शिकार बना लेती है । खुद को ऊँचा और दूसरों को नीचा गिरा देती है । बेतुके बात को हवा दे जाती है । मालूम नहीं मुहँ में क्या उलूल – जुलूल बुदबुदा जाती है ।
आपको नही मालूम मम्मी । हैसियत की घमंड में चूर है , ये महारानी जमीनी सच्चाई से दूर है । दूसरों को नीचा दिखाना हीं इसका फितूर है । सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ जो गुरुर है ।
दूसरों के कामों में टांग अड़ाना , यही है रोज – रोज का फ़साना । ये अकड़ कितने दिन रहेगी , सिर पर सनक कब तक भ्रमण करेगी इसके ? छुट्टी के नाम पर भड़कना जैसे काले बादल से बिजली तड़कना । ‘मैं’ के भाव में डूबी हुई है । सहकर्मियों के नजर में ऊबी हुई है । चाहे कितना भी समय दे दो कम पड़ जाती है इसे । तभी तो बुरा – भला कहते हैं सभी इसके पीठ पीछे ।
एक नकचिढ़ी से जब दूसरी नकचिढ़ी हारती है तो ऐसा हीं होता है दिदी । हम आपकी पीड़ा को समझ रहे हैं । जाने दो लो आइसक्रीम खाओ – कमरे में दाखिल होते बोला था सतरह वर्षीय मोनु । हाथ में ललचाई स्वाद वाली आइसक्रीम लिए ।
मोनु के बात सुन पुनिया तमतमा कर लाल हुई । पर मोनू के हाथ में आइसक्रीम देख थोड़ी ठंढ़ी पड़ी । पुनिया को आइसक्रीम देते हुए बोला मोनू – ‘कभी – कभी हम भी तो अपने हीं घर में नकचिढ़ी के शिकार हो जाते हैं ।’
एक हाथ में आइसक्रीम ली । दूसरा हाथ हवा में उठाई पुनिया ताकि मोनुआ को थप्पड़ जड़ सके । अत्यंत फुर्ती से नीचे झुककर फुर्ररर हो गया मोनुआ ….। हवा में हीं हवाई हुआ पुनिया का उठा हुआ थप्पड़ ।
सामने बैठी हुई माँ के होठों पर मुस्कुराहट बिखर गई । सुर्ख हुए दोनों होठ मानो पंखुड़ी से खिल गये । इस ममतामयी भाव में पुनिया भी लिपट गई । अपने माँ की छाती से चिपक गई ।
निष्कर्ष कि आये दिन हमें ऐसे लोगो से पाला पड़ते हीं रहता है । नकचढ़े व्यकितत्व के लोगों की नाक उनके हथियार होते हैं । व्यंग्य के बाण होते हैं । अक्सर ऐसे लोग हमसे टकराते हीं रहते हैं । अच्छा है कि हम ऐसे लोगों को उपेक्षित कर आगे बढ़ते रहें । इसमें दो में से एक बात होगी । एक इनके नाक से हमारी दम घुटेगी या दूसरा कि इनके हीं नाक में दम घुट जाएगा ।
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ओमप्रकाश अमृतांशु
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Abstract khubsurat banaya hai opji….
Very beautiful creation OPJi. Weldon…Keep it up,,😄👍👍
धन्यवाद पुरन जी ।।।
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