Artist-Omprakash Amritanshu
राजनीति के हवा बा गरम । अब सुनत बानी दिनेश लाला यादव ‘निरहु’चुनाव लड़िहें ! त हमहूँ लड़ब । आपन घोषणा पत्र जनहित में जारी करब । का हो काका ! गलत कहत बानी ? आपन दिल के आवाजे नु सुनत बानी । पार्टी नईखे निर्दलीय लड़ब । गरीब आ किसान खातिर कुछ करब । आठवा पास त बड़ले बानी । दिमाग से केतना लोगन के पिया दिहिला पानी । वोटयुद्ध में उतरे से डर कईसन ? का हम नईखीं निरहुआ जईसन । हमरो के गाँव चिन्हेला । खाली मंगरूआ नु तनी मनी भिनकेला । खड़ा होखब त जवारो चिन्हे लागी । हमरो नाम के नारा लगावे लागी । लालसा बा लागल नेताजी बनेके । देश खातिर कुछु बढ़िया करेके । अब ठान लेनी मैदान में ऊतरिए के मानब । हारब चाहे जीतब दिल के सारधा पुराईए के मानब ।
ऊ का बेरोज़गारी मिटईहें । सिनेमा में हिरोईन साथे चिपकल पावल जईहें । हम का ऊनकरा से कम बानी ? हमहूँ घाटे-घाटे के पानी पिअले बानी ।भोजपुरिया जवान हईं , महान माटी के शान हईं । हमरे से बेरोजगार के रोजगार मिली । सभेके भीतर गुदगुदी खिली । जे हमार प्रचार करे जाई, ओकरा दू गो फायदा भेंटाई । एक त भर चुनाव काम से चिन्ता मुक्त होई । दूसरा ओकरा भर पेट खाना हमरा ओर से होई । सौगात में सभेके गमछा भेंटाई । साँझ के एक पउआ दारू आ चिखना लाइन में बाँटाई । चिखना में आलु, बैगन, गोभी आ कटहर, पिआज के पकौड़ा छनाई । अईसे दूर भगावल जाई भर चुनाव बेरोजगारी ।
जीतला के बाद दिल्ली जाइब । नौजवानन खातिर ओहिजा से लड़ब । जीत के कुरसी पहिले हमरा के मिली , तबे नु केहु के चेहरा पर लाली खिली ।
हे ! देश के किसान तोहार मान हम बढ़ाईब । चुनाव बाद बहत आँसू के धार पोछ के हम देखाईब । लोग देखत रह जाई , कारण कि अइसन योजना बना के हम देखाइब । करजा से मिली मुक्ति , अइसन बरियार बा हमरा लगे युक्ति । खाद-पानी सब कुछ फ़्री हो जाई । तोहार हरियर खेत लह-लह लहलहाई । ये चाचा ! ये काका ! द हमरा के वोट । हमार सोंच में तनीको नईखे खोट ।
हे ! माई बहिन लोग तोहार सुरक्षा करब हम चौकीदार बनके । एही गाँव – शहर में रहके । जे आँख देखाई तोहरा ऊपर , ऊ परिणाम भुगती अपना ऊपर । बढ़िया पढ़ाई – लिखाई के ज़िम्मेदारी हम लेत बानी । आपन जुबान हम देत बानी । अब ना केहु भुखा रही ना केहु दुखा रही । केहु के हंडिया ना सुखा रही । तोहार एक – एक वोट क़ीमती बाटे , हमरे के दिहऽ । जीतला के बाद काम के हिसाब हमरा से लिहऽ ।
हे ! देवी – देवता मोतीचूर के लड्डू चढ़ाईब । जब हमहूँ जीत के नेताजी कहाईब । हे ! बरह्मबाबा जीतवा दिहीं हमरा के । राउर चऊरा बनवाईब असली सोना के । सउँसे मंदिरन के मरम्मत करवा देहब । पूजा – पाठ करे खातिर पंड़ित रखवा देहब । कुछु गलती भईल होखे त माफ कर दिहीं । चुनाव में मजझार परल नईया बेड़ा पार लगवा दिहीं ।
राउर प्यार लिखे खातिर उत्साहित करेला । कृपया करके आपन प्रतिक्रिया जरूर दिहीं ।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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