Artist - Omprakash Amritanshu
चिलचिलाती धूप की
लू की थपेड़ों को
पछाड़ता , गिरता , लड़खड़ाता
जब मैं सड़कों पर चलता हूँ ,
कुछ लोग मारते हैं ठहाका !
(1)
पी रखा है
नही ! कोई कहता है
दिखा रहा है ,
कोई मजनू ,
तो कोई आवारा का नाम देकर ,
चरित्र पर जड़ देता है चाँटा ,
जब मैं कुछ बोलता हूँ
(2)
नही मिली नौकरी
आज भी
लगी मायूसी हाथ
इस कंपनी से उस कंपनी
कहीं चल रही है छँटनी ,
हो रही है हताशा
किसी से जब कुछ पूछता हूँ
(3)
महीनों हो गए पूरे
अन्न को देखा नही
हफ्ते भर से
विज्ञापनों को पढ़ती है आँखें
कुछ पल ठहर – ठहर के
दे जाती है थोड़ी सी दिलासा
सुखी होंठों की पंखुड़ियों को जब खोलता हूँ
(4)
बेरोजगारी ने
बरपाया ऐसा कहर
खाक छान रहा हूँ
शहर – शहर ,
उम्मीदों की लहरें
अभी भी लहरा रही है
पसीने में भींग कर
जो हो चुकी है तर – बतर
कभी खिल जाती है बाँछे
तो कभी घेर लेती है बेआशा
जब इसकी जिक्र खुद से करता हूँ
(5)
पिताजी की आस ,
माँ का आशीर्वाद है ,
संघर्ष मेरे साथ है ,
हो जाऊँगा कामयाब
बनेगी मेरी भी
एक दिन पहचान खास ,
सो जाता हूँ यही मन में लिए जिज्ञासा
अगली सुबह जब जगता हूँ
आपका प्यार हीं हमें लिखने के लिए उत्साहित एवं प्रेरित करता है । कृपया नीचे अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें ।
ओमप्रकाश अमृतांशु
कृपया हमसे Facebook और Twitter पर जुड़ें । धन्यवाद 🙏
हम cartoondhun व्यंग्य चित्रों की आँगन में आपका स्वागत करते हैं..
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Notify me of follow-up comments by email.
Notify me of new posts by email.
संगीतकार मधुकर आनंद सिंगर बन मचा रहे हैं धमाल
ठहाका ! मारते लोग रविन्द्र भारती की दाढ़ी पर
अभिनेता सत्यकाम आनंद का caricature बना
आरा का लाल विष्णु शंकर का कमाल देखो
राजेश भोजपुरिया को मातृभाषा और संस्कृति से जमीनी जुड़ाव
Facebook
© cartoondhun 2019