Artist - Omprakash Amritanshu
संघर्ष आनंद है , जीवन में उमंग है ,
एक जंग है
ये दोस्त हमारा हमदम है ।
इसके बिना मनुष्य अपंग है ।
सफलता का यंत्र और
खुशियों को मुट्ठी में भरने का मंत्र है
कोई कितना भी षड्यंत्र कर ले
व्यर्थ नही होता कभी , ये ऐसा तंत्र है ।
एक सफल व्यक्ति का मंत्र और यंत्र यदि कुछ है, तो वो है संघर्ष । इस क्रम में वह कई – कई बार गिरता है । सम्भलता है । फिर , उठता है और चल पड़ता है । अपनी मंजिल की ओर । इस जंग को वह बार – बार लड़ता है । जाने कितनी बार उलझता भी है । फिर, उसे हीं अपना दोस्त – हमदम बना लेता है । उसी यंत्र के जरिये वह जमीन से चलकर आसमान तक पहुँचता है । अपने सपनों को साकार करता है । फिर , मुस्कुराता है – खिलखिलाता है । निराश मन में उमंगों के फूल खिलाता है । कल तक जिस पसीने से बदबू आ रही थी , आज उसी के खुशबू में आनन्दित हो रहा है तन – मन ।
संघर्ष का फल वैसे हीं मीठा होता है , जैसे धैर्य का । धैर्य यानी सब्र । ‘सब्र का फल मीठा होता है’, इस मुहावरे को कौन नही जानता ? धैर्य रखने वालो का समय व्यर्थ नही जाता । संघर्ष और धैर्य दोनों एक दूसरे के बगैर अधूरे से दिखते हैं । इन दोनों के बीच जरूरी है , हमारे विचारों के भाव भी सकारात्मक हों । क्योंकि , इसके बगैर कुछ पाया नही जा सकता , अलबत्ता खोया जरूर जाया जा सकता है । एक तरफ मात्र सकारात्मक सोच से हीं हम मंजिल पाने के आधे रास्ते तय कर जाते हैं । दूसरी तरफ नकारात्मक विचारों का हाव – भाव हमारे मंसूबों पर पानी फेरने में माहिर होते है । मांसिक ग्रन्थियों को अपंग बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं ।
संघर्ष के रास्ते आती है जीवन उमंग । जहाँ संघर्ष है वहाँ हर्ष – उल्लास और उम्मीदें है । उत्साह और आनंद भी । जैसे सोना अग्नि में तप कर हीं कुंदन बनता है । ठीक वैसे हीं मनुष्य संघर्षों की हवन कुंड में तपकर सफल होता है । इस कुंड में अधिक से अधिक उपयोगी गुणों के विकास होतें हैं । आनंद की लपटें उठती है । हम और परिश्रमी होते हैं । उदारता हमारे रोम – रोम में अंकुरित होती है । यही हमारे जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि होती है ।
तपा हुआ व्यक्ति निर्भीक , स्पष्टवादी , और सुंदर विचारक होता है । इसके साथ आने वाली हर समस्या को बड़ी आसानी के साथ सुलझा लेता है । चुनौती कोई भी हो उसे धूल चटा हीं देता है । क्योंकि संघर्षशील व्यक्ति को चुनौतियों से खेलने में हीं मजा आता है । देखा जाय तो इन चुनौतियों के पीछे हीं सफलता का द्वार छिपा होता है ।
सफल व्यक्ति की जीवंत गाथा पढ़ते है तो पाते है कि गिरने में हीं छुपा हुआ है आसमान छूने का राज । सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पहले हमारे जैसे हीं आम थे । आज खास बनकर हमारे बीच जगमगा रहे हैं । ऐसे हीं नही पद्मश्री , पद्म विभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजे गये ।1910 की बात है ।
महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की रचना ‘सोजे वतन’ की सारी प्रतियां नष्ट कर दी गई । फिर भी उन्होंने लिखना नही छोड़ा । लिखने की जंग लड़ते रहे । उनके अंदर लिखने की उमंग कभी फीकी नही पड़ी । अंतिम क्षण तक इसी उमंग के साथ जीते रहे । उन्होंने संघर्ष को अपना दोस्त बनाया । हमदम बनाकर हमेशा उसके साथ लिखने की सफ़र तय करते रहे ।
अब्दुल कलाम के शब्दों में ‘अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हो , तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखो ।’
संघर्ष की पीड़ा में हजारों सुखमय आनंद का भाव छुपा होता है । पर हम देख नही पाते । उसे महसूस नही कर पाते । अब्दुल कलाम कहते है – ‘जीवन में कठिनाइयाँ हमें बर्बाद करने नही आती । बल्कि , यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकलने में मदद करती है । कठिनाइयों को यह जान लेने दो की आप उससे ज्यादा कठिन हो’।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार – ‘विपरीत स्थितियों को अनुकूल करने का प्रयत्न हीं संघर्ष है । आत्म विश्वास की विटामीन संघर्ष की थकान को महसूस नही होने देता।’
ओमप्रकाश अमृतांशु
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