अजब कुर्सी – गजब खेल , देख भाई देख तमाशा देख । ये लोकतंत्र है । जिसका मूलमंत्र है कुर्सी यानी सत्ता । क्योंकि सत्ता की चाबी यही देती है । निर्बल से निर्बल व्यक्ति को ताकतवर बना देती है... Read more
‘देश का कलंक मिटाया । गर्व है हमने बाबरी मस्जिद के ढ़ांचे पर चढ़कर गिराया – साध्वी प्रज्ञा’ । हा..हा..हा…। वोट के लिए कलंक भी काजल बन जाता है । तभी तो सरेआम वोटर पाले में आ खड़ा... Read more
संगीतकार मधुकर आनंद सिंगर बन मचा रहे हैं धमाल
ठहाका ! मारते लोग रविन्द्र भारती की दाढ़ी पर
अभिनेता सत्यकाम आनंद का caricature बना
आरा का लाल विष्णु शंकर का कमाल देखो
राजेश भोजपुरिया को मातृभाषा और संस्कृति से जमीनी जुड़ाव
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