Artist-Omprakash Amritanshu
हम जैसे ज्यादातर युवा अपने जीवन की कीमती समय क्रिकेटरों के सतक गिनने , नेताओं के भाषण पर बहस करने में , सोशल मीडिया पर व्यस्त रहने आदि में खर्च कर देते हैं। जबकि,हम अपनी प्रतिभा और अनमोल व्यक्तित्व की पहचान कर निखार सकते हैं उसके सहारे अपार सफलता की सिढ़ीयाँ चढ़ सकते हैं।हम जिन सफल लोगों को अपना आदर्श मानते हैं वो यूं सफल नही हुए। उन्हें समाज के सामने अपने आप को प्रस्तुत करना बख़ूबी आता है।वे मौके को बिना गवाएं अपने प्रतिभा का प्रदर्शन करने में ज़रा सा भी संकोच नही करते। क्योंकि मौक़ा बार-बार नही आता।
अपने बारे में नकारात्मक सोंच हमें ले डूबती है। हम सिर्फ़ दर्शक और फैन बनकर तालियाँ बजाने के लिए हीं जाने जाते है। क्या कभी हमने अपनी पीठ ख़ुद थपथपाई ? कभी अपने लिए तालियाँ बजाई ? नही तो क्यों नही ? दूसरों की उपलब्धियाँ ऊँगली पर गिनती कर लेने में माहिर होते हैं। अपने अन्दर झाँकने के बजाय दूसरों की प्रतिभा को देख आश्चर्य चकित हो जाते हैं। तो क्या समय गंवाने के साथ-साथ हम अपनी प्रतिभा पर धूल की परत चढ़ाते जाते हैं ? हर व्यक्ति के अन्दर प्रतिभा होती है।हर व्यक्ति अनमोल हुनरमंद होता है। बस ज़रूरत है तो उसे पहचान कर समाज और दुनिया के सामने पेश करने की ।
काश ! मै अपने अन्दर कभी झाँक कर अपनी हुनर को पहचान लेता। आज हमारा भी व्यक्तित्व निखरा-निखरा सा होता। लोगों की वाह-वाही बटोरता ।
काश ! मैं अपनी कमियों ओर दोषों को पटकनी देकर सिर्फ अपने गुणों पर फोकस करता । तो प्रगति के पथ पर मैं भी आगे बढ़ता।
यदि मैं समझ जाता कि जो भी आता है यहीं से सीखता है। सिख कर कोई नही आता है।तो आज मैं भी विलक्षण बुद्धि वाला इंसान होता काम का।
हम जिसे फॉलो करते हैं वो भी तो अपूर्ण है, लेकिन हमारे सामने अपने आप को पूर्णरूप से पेश करता है। फिर, हम क्यों अपनी अपूर्णता पर आंशू बहा रहे हैं।
उनके सामने मैं जब होता हूँ अपने आप को हीन भावना की नजरों से देखता हूँ। जबकि, वो खुद पर जश्न मनाते है। उत्साह से भरे होते है। काश ! मै अपनी हिनता को धूल चटा कर अपने व्यक्तित्व के ऊपर जश्न मना पाता।
मैंने कहीं पढ़ा था अपने आप को खुश रखने की जिम्मेदारी सिर्फ आपकी है। ये जिम्मेदारी कब निभाउंगा ? उदासी के बादल से कब तक मुक्त कर पाऊंगा मैं अपने आप को ?
हर व्यक्ति की अहमियत है समाज मे। इस धरती पर। काश ! में जितना जल्द समझ जाता तो आज कुंठित न होता। अपने आप को दूसरों की अपेछा अधिक सम्मान एवं अहमियत देता।
दूसरों पर अन्याय होते देख हम गुस्से से लाल हो जाते हैं पर खुद की असधारण क्षमता को पनपने से पहले हीं कुचल देते हैं हम।दूसरों की प्रतिभा फला-फूला देख हम फूले नही समाते है। पर, अपने लिए हम एक अपराधी से कम नही।
अपनी मूल्य पहचानने वाले बहुत कम लोग होते हैं परन्तु जो पहचान लेते हैं उन्हें दुनिया पहचान लेती है।हम अपनी अनमोल प्रतिभा को कोई मूल्य नही देना चाहते।अनमोल हम तभी हो सकते है जब अपना मूल्य पहचानेंगे ।
पूर्वाग्रह की परिधि से बाहर निकलकर सोंचने वाला ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है..
हम कमजोर नही हमारे हौसलें बिखरे पड़े है जिन्हें जोड़ना हमरा पहला काम है।हौसले के बिना कोई काम नही होता, ना हीं कोई सफलता हासिल होती है।मंजिल मिलना तो दूर, मंजिल का रास्ता भी नही दिखाई देता।
आज गांठ बांध लिया हमने मानसिक भटकाव से नही एकाग्रता से निखारना है अपनी काबिलियत, अपने हुनर को।हर सफल व्यक्तित्व का यही सूत्र है।
समझ रहा हूँ अपनी मूर्खतापूर्ण विचारो पर हँस रहा हूँ। कैसे हमने खुद की बौद्धिक क्षमता का दोहन किया। कैसे-कैसे बहानों से अपनी प्रखरता को ध्वस्त किया। अब उलझनों में उलझना मेरा काम नही, न डर कर है रहना। भविष्य में जो होगा अच्छा होगा। आज पैरो में क्यों बंधन बंधना।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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Bahut achchha..
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