Artist - Omprakash Amritanshu
प्रतिभावान सौरभ स्वतंत्र पत्रकार और शिक्षक की भूमिका में समाज को निखारने का कार्य कर रहे हैं । एक मां जब अपने बच्चों को जन्म देती है । अनेकों पीड़ाओं को सहन करती है । वह नहीं जानती यह बच्चा किस प्रवृति का होगा ।हमारे समाज के लिए अभिशाप बनेगा या वरदान ।आगे चलकर ज्ञान अर्जित कर प्रतिभावान बनेगा या अंधेरे में हीं रहना चाहेगा । वह तो बस स्नेह करती हुई उसके सुखद भविष्य की कामना करती है । वही बच्चा बड़ा होकर एक शिक्षक बनता है। पत्रकार बन कलम उठता है । चित्रकार आदि बन समाज में अपना नाम स्थापित करता है । फिर , जन्म देने वाली मां अपने लाल पर गर्व महसूस करती है ।सहनशीलता की हद पार करने वाली पीड़ाओं से खुशियां जगमगाने लगती है । ऐसे हीं है हमारे प्रतिभाशाली सौरभ स्वतंत्र । जो हमारे बीच रहकर हमारे समाज को स्मृद्ध कर रहे हैं ।
“प्रतिभा वह सूर्य की किरण है जिससे आपका व्यक्तित्व जगमगा उठता है । लोग आपके तरफ मुँह करके आपके छवि को देखने लगते हैं । उन्हें विश्वास नही होता । आपका व्यक्तित्व उन्हें चकित कर देता है ।”
सौरभ एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जाने और मैने जाते हैं । यह प्रतिभा उनके अंदर में समाहित है । बचपन से लिखते – पढ़ते रहें , समाज के लिए कुछ करने की ललक में लिखना शुरू किया । लेखनी पत्र – पत्रिकाओं में छपने लगी ।लोग प्रतिभावान सौरभ पुकारने लगे ।
सौरभ का जन्म 25 नवम्बर को बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा में हुआ ।बचपन से पढ़ाई – लिखाई में संपन्न रहे ।खेलते – कूदते – पढ़ते हुए आगे बढ़ते गये । लिखने के शौकीन रहे सौरभ ने पत्रकारिता में भी स्नातक की डिग्री हासिल की ।
प्रस्तुत है इनकी उपलब्धियां – एक तरफ सीनियर इंडिया , इंडिया न्यूज, विचार सारांश, शुक्रवार, और जागरण अमर उजाला , कादम्बिनी जैसे पत्र – पत्रिकाओं में सैकड़ों रिपोर्ट । दूसरी तरफ समीक्षा , कविता ,फीचर प्रकाशित, ब्रेकिंग व्यूज पत्रिका का तीन वर्षों तक संपादन । इसके अलावा स्पंदन काव्य संकलन का संपादन । पर्यावरण भारती पत्रिका का पांच वर्षों तक संपादन ।
एक तरफ स्वतंत्र लेखन तो , दूसरी ओर अध्यापन का कार्य प्रतिभावान सौरभ की सम्प्रति है । इन्होंने इसके लिए बी. एड भी किया । समाज में शिक्षा की लौ जला रहे हैं ताकि हरवर्ग में ज्ञान का प्रकाश फैले । हर जगह उजाला हो । गुरू बनकर बच्चों को ज्ञान बाँटना इनके व्यक्तित्व में चार चाँद लगाता है जैसा कि हमारे भारतीय संस्कृति में गुरू – शिष्य परम्परा सदियों से चली आ रही है ।
आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
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