Artist- omprakash amritanshu
रंगश्री नाट्य संस्था दिल्ली के ओर से प्रेमचंद के जन्मदिवस 31 जुलाई के नया अंदाज में मनावल गइल । महान कथाकार के कहानी ‘वैर के अंत’ के भोजपुरी में नाट्य प्रस्तुति करके ईयाद कइल गइल । गोल मार्केट दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम उत्सव के गवाह बनल । कबो – कबो ताली के आवाज से बोल उठे आडिटोरियम । वाह ! वाह ! त कबो चुप्पी साध के नाटक के भाव मे अपना आप के डूबा लेवे । लोकजीवन के असली जीवंत रंग एह नाटक में देखे के मिलल। सच्चाई के जमीन पर उकेरल भाव के पीड़ा आपन – आपन सा लागल । सहोदर भाई के क्रिया – कर्म के साथे वैर के बीजारोपण होखत बा । जे एह बीज के रोपलस ओकर अंत त जरूरिये रहे । साथ में कबो – कबो मधुर संगीत के फुहार दिल के छुए में आगे रहल ।
दर्शक दीर्घा पहिले से खचाखच भरल बा । तब हम प्रक्षागृह में प्रवेश कइलीं । खड़ा हो करके आपन बइठे के जगह खोजे लगलीं । पत्रकार दीर्घा में एगो कुर्सी खाली रहे । लेकिन , हम पत्रकार त रहनी ना । फिर पीछे के ओर आपन नजर दौडवनी । एगो कुर्सी खाली मिलल । झटके से वोह कुर्सी पर आपन हक जतावत बइठ गइलीं । ‘वैर’ के कइसे अंत होखत बा , देखे खातिर मंच पर आपन आँख टिकवलीं ।
तीन भाई में से एक भाई के मृत्यु हो जाता । शाहोदर भाई के लाश परल बा । क्रिया – कर्म खातिर उनकर हिस्सा के खेत रेहान रखाइल । भोजपुरी में समझी चाहे हिंदी में, कहल जाव त एहिजे से ‘वैर’ के बीज रोपाइल । लालची आ क्रूर छोट भाई विशेश्वर राय के मन में वैर के पौधा उगल । अब उ सउँसे जमीन हड़पे के खातिर उठल । विशेश्वर राय के भूमिका में उपेंद्र सिंह चौधरी के बेजोड़ अभिनय क्षमता देखे के मिलल । मन में वैर के पौधा के कइसे पालल – पोसल जाला, चित्र उजागर कइलें । साथ में घाव के गहरा दर्द के भाव अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कइलें । वीणा वादिनी पग – पग पर साथ निभावली उनकर मेहरारू बनके । एकदम सटीक आ गाँव में गोतिया के देखके जर – बुतावे वाला अभिनय । ताली बटोरेवाली नाट्य भूमिका ।
दोसरा ओर गरीब – किसान माझिल भाई रामेश्वर राय के भूमिका में अखिलेश पांडेय रहलें । आपन दमदार अभिनय के दम मंच पर मंचित कइलें । रामेश्वर राय के मेहनती बेटा जागेश्वर जेकरा से नाटक आगे बढ़त बा । सौमित्र वर्मा एह किरदार के जीवंत बनावत दिखलें । उनकर अभिनय के पराकाष्ठा सभ दर्शक लोगन के अचंभित कइलस ।
हिन्दी के तरह भोजपुरी नाटक के डेग कबहिं रुकल ना । कबहिं थाकल ना । भोजपुरी के समर्पित रंगश्री हमेशा आ अनवरत प्रयासरत रहल । भोजपुरी के झंडा लहरावे के संघर्ष करत सुंदर भविष्य के ओर आगे बढ़ रहल बा । एही से ‘वैर के अंत’ के भोजपुरी नाट्य रूपांतरण भइल । आ महेंद्र प्रसाद सिंह के निर्देशन में नाट्य मंचन भइल ।
नाटक के दृश्य में मृत सीदेश्वर राय के इकलौती बेटी के भूमिका में किरण अरोड़ा आ मिना राय के अभिनय उड़ान पसंद आइल । नम्रता सिंह जागेश्वर के पत्नी बन आपन अभिनय के पताका फहरावली । एकदम ठेंठ गाँव देहात गरीब के मेहरारू के भूमिका में । जबरदस्त जमीन से जुड़ल अभिनय से दर्शक के मन मष्तिष्क पर छा गइली ।
पहिला बेर नंदिनी मंच पर नजर अइली । गरीब , लाचार आ ईमानदार रामेश्वर राय के मेहरारू बनके रंगमंच के दुनिया में डेग बढ़वली । एकरा साथे गवाह रुस्तम आ योगेंद्र के सराहना मिलल । महाजन के रोल में रामसुभग तिवारी भी आपन प्रस्तुति दिहलें । मुन्ना कुमार महंगू बनके रंग जमवलें । एकरा अलावे अन्य कलाकार लोगन के भी अभिनय योगदान सराहनीय आ शानदार रहल । बाल कलाकार के सहभागिता भी खुब शानदार रहल ।
सूत्रधार के भूमिका लावकान्त सिंह के कंधा पर रहे । जेकरा के आपन समझदारी आ जिम्मेदारी समझ के निभवलें । संगीत प्रस्तुति राजा के रहे ।
अब निष्कर्ष कि ‘वैर के अंत’ सफल आ सराहनीय प्रस्तुति रहल । रंगश्री संस्था के बहुत – बहुत बधाई दिहल जा सकता । नीचे कमेंट बॉक्स में ररुओ शुभकामना आ बधाई दे सकीलें । धन्यवाद ।
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बहुत सुंदर रिपोर्ट देहनी, साधुवाद
धन्यवाद भाई
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