Vina vadini / Artist - Omprakash Amritanshu
रंगमंच पर वीणा वादिनी की अभिनय कला आपने देखा है ? नही ना । देखा तो जरूर होगा । आ नही देखा तो कैसे नही देखा ? क्यों नहो देखा भाई ? क्या गजब की किरदार निभाती है । हमहुँ एके – दू ठो नाटक में इनको देखें हैं । जब “बैर का अंत” देखा था हमने । तो पता है भकुआ गए थे । हमको तो विश्वास हीं नही हो रहा था । हम नाटक देख रहे हैं कि सचमुच वाली कवनो घटना । सांच पूछो नु तो मजा आ गया था । हमने तो वीडियो भी बनाया । नीचे वीडियो है आप भी थोड़ा सा देख लेना क्लिक करके । वीणा वादिनी जब मंच पर आती है ना , दर्शकों का उत्साह दोगुना बढ़ जाता है । मन्त्रमुग्ध कर देती है अपने अभिनय की खनक से ।
भेलुआ चुपचाप सुन रहा था अमृतांशु के बात को । वह एकटक से उसका मुँह देख रहा था । भेलुआ गाँव में दुर्गापूजा पर होनेवाले नाटक तो खूब देखा था । लेकिन , शहर वाला नाटक का कभी दर्शन नही किया । वह अमृतांशु के बात से प्रभावित हुआ । उसके भी मन में खलबली मच रही थी । दिल्ली का नाटक देखने को व्याकुल होने लगा ।
थोड़ा सकपकाते हुए बोला भेलुआ – कब होता है इहँवा नाटक । अब हमहुँ तनी देख लेते वीणा वादिनी जी के कला को ।
अमृतांशु – रुको पता करते हैं । जिस दिन नाटक होगा हम फोन कर देगें । चले आना । गुड़गांव से आने में दो घंटा हीं तो लगेगा । रात में हमारे यहां रुक जाना ।भेलुआ हां के इशारे में मुड़ी हिलाया ।
रंगमंच हो या साहित्य का मंच वीणा वादिनी हर जगह दिख जाती है । ये वो नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नही । एक ओर रंगमंच पर एक्टिंग करते हुए दिखती है , तो दूसरी ओर मंच पर कविता पाठ करती हुई । शिक्षिका के रुप मे अपना फर्ज निभाती है और समाज सेविका का भी । हिन्दी की बेहतरीन शिक्षिका के रूप में ज्ञान का दीपक जलाती है । बहुमुखी प्रतिभा जैसे इनके अंदर कूट – कूट कर भरी गई हो । दिन प्रतिदिन लोकप्रियता के शिखर पर चढ़ती वीना सबकी लोकप्रिय हो चुकी है । हंसमुख और मिलनसार व्यक्तित्व इनकी अपनी प्रोपर्टी है । कहीं से कोई बनावटी नही ।
फिलहाल विश्व भोजपुरी एकता मंच की सचिव है । भोजपुरी जनजागरण अभियान की सदस्य भी । भाषा भोजपुरी होने के कारण तो बनता है । अपनी मातृभाषा के प्रसार – प्रचार के लिए भी कुछ करें । हमने भी नजदीक से तो जंतर – मंतर पर हीं देखा । हाथ में माइक लिए भोजपुरी आंदोलन के लिए जब आवाज बुलंद कर रही थी ।केवल रंगमंच हीं नही साहित्य और भोजपुरी के लिए समर्पित दिखती है वीणा वादिनी ।
परिवार मूलतः बिहार के रहने वाले हैं । लेकिन , वीणा वादिनी दिल्ली की है । पर अपनी कला – संस्कृति को बखूबी पहचानती है । उसके साथ जीती भी है । तभी तो भोजपुरी की आँचल तले रहना सुखदायक लगता है ।
लगभग पांच साल पहले अभिनय की शुरुआत हुई । आज लगभग दो दर्जनों नाटक में अभिनय का जलवा बिखेर चुकी है । भोजपुरी के साथ – साथ हिंदी और उर्दू के कई नाटकों में सफल प्रस्तुति दे चुकी है । जिस नाटक में अभिनय करती है, अपनी छाप छोड़ आती है । वीणा वादिनी रंगश्री के संस्थापक महेन्द्र प्रसाद सिंह को अपनी गुरु मानती है । अधिकांश नाटक रंगश्री के बैनर से करती भी है ।
पिछले दिनों की बात है । फरवरी 2019 में एक नाटक देखा था मैंने । नाटक का नाम ‘जय गिरगिट महाराज’ था । वीणा वादिनी ने जो अभिनय किया लाजवाब के साथ – साथ जानदार भी था । दर्शक तो दांत तले उंगली दबाए बैठे थे ।
चाहे कोई भी रोल दे दो । उसमें एकदम फिट बैठ जाती है । शानदार तरीके से उस भूमिका में अपनी शानदार अभिनय के द्वारा जान डाल देती है । ‘बबुआ गोबर्धन’ , ‘बिरजू के विआह’, ‘आपन – आपन दांव’ में अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया । तो वहीं लोहा सिंह’ , बैर के अंत’ , स्वर्ग -नरक’ , आदि नाटकों में अपनी कला का जौहर से सबको मंत्रमुग्ध करने में कामयाबी हासिल की ।
वीणा वादिनी का जवाब था – “महिला सशक्तिकरण वाली किरदार ज्यादा पसंद है । कभी मौका मिले तो जरूर करूंगी । मुझे लगता है आजकल इन किरदारों की दरकार भी है । समाज मे जिस तरह से महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं , सब देख रहे हैं । आज की महिला को सशक्त होना जरूरी है ।”
आज 23 सितंबर को वीणा वादिनी का जन्मदिन है । आपको जन्मदिन की बहुत – बहुत शुभकामनाएं । आपका जीवन मंगलमय एवं शुभ हो यही हमारी कामना है ।
आपका प्यार हीं हमें लिखने के लिए उत्साहित करता है । कृपया नीचे अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें ।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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