Artist- Omprakash Amritanshu
साहित्यकार रामरक्षा मिश्र विमल को मातृभाषा और संस्कृति से गहरी लगाव है । एक तो , अपनी भोजपुरी को समृद्ध बनाने के लिए रात – दिन मेहनत करते है । दूसरा , साहित्य का अमृत जन – जन को चखना चाहते है । तीसरा , संस्कृति की जड़ को और मजबूत करना इनके जीवन का मकसद बन चुका है । भाषा , साहित्य और संस्कृति पर उल्लेखनीय काम कर रहे है । एक साहित्यकार हीं मातृभाषा की अहमियत समझता है । वह अपनी संस्कृति का रक्षक होता है । उसका यह दिखावे का नही बल्कि प्रेम अमर होता है । रामरक्षा मिश्र विमल भी इसी यात्रा पर निकल चुके है । इनकी यह यात्रा अनवरत चलती रहेगी , जब तक सांस चलेगी ।
एक साहित्यकार जब कलम उठता है , अपने अंदर के भावों को जगाता है । वह लोक की बातें , उनकी समस्याओं से अवगत होता है । समाज के सपने उसके अपने हो जाते हैं । फिर , अपने लिए नही वह उनके लिए कलम उठता है । उनके दुःख – दर्द और अनेक पीड़ाओं को शब्दों के माध्यम से चित्रित करता है । उनके भावों से एकाकार हो जाता है ।
साहित्यकार रामरक्षा मिश्र विमल की भाषा भोजपुरी है । अपनी भाषा से बेहद लगाव भी । भोजपुरी में कहानी – कविता लिखते है । अपनी मातृभाषा के लिए चिंतनशील भी दिखते हैं । संस्कृति का बाग हरा – भरा रहे , इसके लिए काफी मेहनत करते हैं । एक चिंतनशील और आदर्शवादी व्यक्तित्व है विमल ।
‘सांझवत’ त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का प्रधान संपादक हैं रामरक्षा मिश्र विमल । यह पत्रिका अपनी मातृभाषा को समृद्ध करने के लिए प्रतिबद्ध है । ताकि लोगों के दिल में अपनी भाषा के प्रति प्रेम उत्पन्न हो । हम हिंदी में भी लिखें पर मातृभाषा को भी ना भूलें । हमारी भाषा लोक से इंटरनेशनल हो चुकी है । अब हम सिर्फ देश में हीं नही विदेशों में भी बोलते है अपनी मातृभाषा ।
आज 28 फरवरी को रामरक्षा मिश्र विमल का जन्मदिन है । हम इनके स्वास्थ्य जीवन की कामना करते है । और साथ में , भोजपुरी पत्रिका ‘संझावत’ का प्रकाशन के लिए धन्यवाद देते हैं । आपका साहित्य और भाषा प्रेम यूँ हीं फलता – फूलता रहे ।
आपका प्यार हीं हमें लिखने के लिए उत्साहित एवं प्रेरित करता है । कृपया नीचे अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें ।
ओमप्रकाश अमृतांशु
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